शाम ढले जब तुम आओगी,
कहनी है बातें कई
सुननी है, तुमसे नई,
बरसो ताकती आंखों में
ख्वाब बन, तुम बस पाओगी।
चांद की छतरी तले,
महकती हवाओं के हिंडोले,
थाम हाथ मेरा, जन्मों के साथ की
टूटे तारे से मन्नत मांग पाओगी।
वो पायल वो झुमका, संभाल के रखा है,
याद में तेरी, इसे सीने से लगा रखा है,
फिर से इनकी छन छन की
मधुर तान छेड़ पाओगी।
मै कहता रहता, तुम सुनती रहती,
छुपा छुपा, जो रखती दिल में बातें
आज क्या तुम मुझ से कह पाओगी।
~Dr. Neeru Jain
India