Poetry

चाय की सौंधी सी खुशबू…

दिल मेरा दुखाओगे, तो क्या पाओगे,

मेरे दिल में जो तेरे लिए चाहते है,

उसे तो ना मिटा पाओगे….

सोचते हो, बच बच के गुजर जाओगे मेरी गली से,

हवाएं जो महक गई, तेरे आने से,

उसे किस तरह छुपाओगे…..

पता बता ही देती है, तितलियां इतरा इतरा के तेरा,

लाख कर लो जतन, उन्हे रोक न पाओगे….

चलते चलते राहों पे, चेहरे मुझ से लगेगे कई,

पर सच में कहीं, वो मैं तो नही,

 इस सोच में पड़ जाओगे…

बातें, बदलियां और बरसातें, शायद भूल भी जाओ,

वो मेरे हाथ की चाय की सौंधी सी खुशबू,

किस तरह भुलाओगे……

चैन मिलता है गर सता के हमें,

हम जो ओढ़ लेंगे खामोशियां किसी दिन,

तो हाल मेरा जानने को, खुद ही छटपटाओगे..

~Dr. Neeru Jain 

Jaipur, India

One Comment

  1. Thank you so much 🙏💐☺️🌹

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