Poetry

काश कि मैं ऐसा कर पाती

काश कि मैं ऐसा कुछ कर पाती कुछ यादें कुछ लम्हे समय की गति से चुरा लाती।

जाने न देती हाथ यूँ छुड़ा कर काश कोई ऐसी ताकत मुझे मिल जाती।

जिस बात से घबराया जाया करती थी अक्सर

काश उस बात का मैं सामना कर पाती।

कहने को तो परिस्थितियां समय के साथ समान्य हो ही जाएंगी

पर काश कि मैं ऐसा होने से रोक पाती।

धीरे-धीरे ही सही रेत सा फिसल गया मेरे हाथ से हर लम्हा काश कि मैं अपनी मुट्ठी कस कर भींच पाती.

हज़ार यादों के सहारे अब तो काटनी है जिंदगी काश मैं आपको याद बनने से रोक पाती।

रिश्ते बहुत मिल जायेंगे जिंदगी में पर काश मैं आपको वापस ला पाती।

 

                                                                                   ~ Dr. Shivangi Srivastava

                                                                                            Motihari, India

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