Poetry

अपना पाओगे?

समाज की कूटनीति से बचोगे कैसे,

अगर अभी भी सोए हो तो कुंभकरण उठोगे कैसे?

माँ  ने क्या जना उसे ये तक छुपाना पड़ा,

 बाप वो पाप नहीं जिसका बोझ तुझे उठाना पड़ा।

वक़्त का खेल नहीं कुदरत का करिश्मा था,

उसे ना अपनाना समाज का परचम नहीं

तेरे संस्कार का दोष दुगना था।

तुम उस तीसरे मोती को क्या अपनाते तुमने तो दूसरे तक को ना छोड़ा था,

हां तुम उसे कैसे अपनाते जिसने तुम्हारे दो मुहे समाज को तोड़ा था।

 नजाने क्या क्या नाम दिए तुमने उस अभी पैदा हुई जान को,

पहली बार बेटी से ज्यादा किसी और के पैदा होने पर रोते देखा इंसान को।

माँ  की कोशिशें कब तक काम आती,

समाज ने सबकी आंखे खोली।

नहीं कुछ बदलने के लिए मशाले तो नहीं जली,

बस सती पहले बेटियों के नाम थी,

आज वो उनके नाम हुई।

                                          ~ Anubha Pandey

                                          Mumbai, India

2 Comments

  1. Priyanka Phogaat

    Woahhh

  2. Priyanka Phogaat

    ❤️❤️❤️