Poetry

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

इस बार भी

आकर चली गयी

पता नहीं

कितनों को पता था…

कितनों को नहीं?

यह उपेक्षा,

यह दुराव

यह नाटकीयता?

अपने ही ख़यालों

में मशगूल

हिन्दीभाषी

विस्मयकारी?

ढूंढ रहें कहाँ

अपनी छवि?

हाँ, स्कूल कॉलेजों

में हिंदी दिवस

मनाया गया

लेखन, वाद-विवाद

प्रतियोगिता

से इस मधुर दिवस का

अभिनंदन हुआ।

दुःख है कि

समाचार पत्रों

तथा सोशल मीडिया

में दो-चार पंक्तियाँ में

ही ज़िक्र आया…

दूरदर्शन के चैनलों

पर इसकी जानकारी

गौण थी

पर शोर-शराबा ज़ारी था

वही नये -पुराने विज्ञापनों का।

नेताओं की

आलोचना-समालोचना

के बीच

हिंदी दिवस की

पाज़ेब की झंकार

इस साल भी गुम हो गई।

                                                  ~ Anjana Prasad 

                                                    Nagpur, India

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