वो सर्वभूत – सर्वव्यापी
हर जगह कहाँ रह सकता था
इसलिये बनाया इक व्यक्तित्व
जो उसकी जगह ले सकता था
वो प्यार हो या चिंता करना
बस अम्मा ही कर सकती है
वह कोमल है पर बालक की
ख़ातिर सिंहनी बन सकती है
माँ ने प्रकृति के उपवन में
आकर हर फूल खिला दिया
अपने बलिदानों से देवों का
सिंहासन भी हिला दिया
माँ को अपना प्रतिनिधित्व सौंप
भगवान भी अब निश्चिन्त हुए
सब कष्ट जगत के शिशुओं के
माँ आई तो संक्षिप्त हुए
~Sudha Dixit
Bangalore, India