Poetry

वीर सपूत विक्रम बत्रा

कोटी कोटी नमन तुम्हें
कोटी कोटी आभार
 देश के लिए मर-मिटने पर
 मिलता है वीरता पुरस्कार
                               
वीरता पुरस्कार के होते है छह प्रकार
 उस में से परम वीर चक्र का है प्रथम स्थान
 परम वीर चक्र वही पाता है
जो शेर जैसा बहादुर बन जाता है
                               
ऐसा ही सम्मान मिला हिमाचल के वीर जवान को जिसने देश के लिए न्योछावर कर दिया अपनी जान को
उसने कार्णिल का युद्ध जिताया था
 “यह दिल माँगे मोर’ सबके मन को भाया था
                               
हिंदुस्तान के लिए वह एक वरदान था
हिमाचल की वह शान था
 हर भारती को उस पर अभिमान था
 कैप्टन विक्रम बत्रा उसका नाम था
                               
वह भारत का फ़ौजी था
 बच्चों जैसा मनमौजी था
‘शेरशाह’ यूँ ही नहीं कहलाता था
देख उसे दुश्मन का दिल दहल जाता था
                               
बाईस की उम्र में उसने माँ का आँचल, छोड़ा जा
 देश प्रेम ने उसको यूँ सेना से जोड़ा जा
 कहता था सरहद तिरंगा मैं ठहराऊंगा
 अगर वो कर ना सका तो उसमें ही लिपट आऊँगा
                               
 9 1999 जुलाई को तिरंगे में वह लिपट गया
घर वालों का सारा संसार सिमट गया
 उसके जाने का गम बहुत है, पर फ़क्र हैं
 जो हम ना कर सके उसमें उसका ज़िक्र है
                               
गुरू की तरह हम सबको वह सिखा आया
 जिंदगी की सच्ची राह पर चलना बता गया कठिनाईयाँ हो जिंदगी में कितनी भी
वह उनमें भी जीना सिखा गया
                               
रोके ना रुकना
गिरकर भी है उठना
थकते ना थकना
हारकर भी है जीतना
                               
अब मैंने यह ठाना हैं
 इन बातों पर अमल कर दिखलाना हैं
 सच्चे सैनिक का कर्तव्य निभाना हैं
 अपने वतन के झंडे को शान से कहराना है
                                             
~Arshita Sharma
India

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