Poetry

रूहानी हरकतें…

भोर के उजास की पहली बेला , मुझे आकर मिलती है …
धीरे से कहती है ” सुप्रभातम “..
अलसाई सुबह की सोंधी खुशबू, प्यार से सहलाती सर मेरा…
मुझे बाहों में लेकर जाहिर करती है प्यार अपना..
रास्ते में बहारें इंतजार करती है मेरा.. स्वागत में मेरी पलके  बिछाती हैं… प्रकृति की चादर अपनी आगोश में लेकर …
सुलाती है अपनी बाहों में …
वह बादल का छोटा सा टुकड़ा, मेरे ऊपर आकर ..
भिगो जाता अपने इश्क में मुझे …
निहाल हो जाती हूं मैं पाकर प्यार इनका …
गनीमत है ,यह इंसान नहीं जो बदल जाए हर पल …
यह वह खूबसूरत ताना बाना जिसमें उलझे रहना चाहूं मैं …
तो  फिर इंसान बदल जाए तो क्या…
वह शब्द खो जाए तो क्या …
मुझे तो पूरा कर जाती है ,यह रूहानी हरकतें…
~Anu Agrawal
Jaipur, India

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