Poetry

नज़र

नज़रे उठा कर देखो

नज़रे मिला कर देखो

गमें-हिज्र क्या होता है

मेरी आँखों में झाँक कर देखो

फिर उन्हीं नज़रों में, खुद को तलाश कर देखो

तुम हो , तुम्हारी यादें है

नज़रों में मेरी अंकही बातें है

अपनी नज़रों की नज़र उतार कर देखो

मेरी जाँ, मुझसे युं नज़रें ना फेरों

मेरी नज़रों से नज़र मिला कर देखो

                                

   ~Shaizan Imtiyaz

Nagpur, India

3 Comments

  1. Bohot khub shaizan 🥹💕🫡🔥

  2. Heart touching poetry 🥺❤️❤️❤️🤌🏻

  3. Nice ☺️