नज़रे उठा कर देखो
नज़रे मिला कर देखो
गमें-हिज्र क्या होता है
मेरी आँखों में झाँक कर देखो
फिर उन्हीं नज़रों में, खुद को तलाश कर देखो
तुम हो , तुम्हारी यादें है
नज़रों में मेरी अंकही बातें है
अपनी नज़रों की नज़र उतार कर देखो
मेरी जाँ, मुझसे युं नज़रें ना फेरों
मेरी नज़रों से नज़र मिला कर देखो
~Shaizan Imtiyaz
Nagpur, India
Bohot khub shaizan 🥹💕🫡🔥
Heart touching poetry 🥺❤️❤️❤️🤌🏻
Nice ☺️