Poetry

नई पहल

जिंदगी तुझको तो बहना होगा …
दर्द कितना भी हो सहना होगा..
 वह खुली खिड़की से धूप की आशा ना कर ..
तुझे खुद अपनी धूप का टुकड़ा चुनना होगा ..
वह  सज्जा, सामान जिसे टांग दिया था किसी खूंटी पर..
 उसे दर्द सह कर भी सहेजना होगा..
 ना अठखेलियां कर ख्वाबों से ..
छोड़  दे यह बहाने अब ..
जरजर जरजर सी मुस्कान को कुछ रंग नया देना होगा ..
आंसू के धागों से  बुनले इस दर्द को, बहने दे इस जजीरे को
 फिर तो आगे बढ़ना होगा..
                                                   
~Anu Agrawal
Jaipur, India

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