Poetry

कहानी तिरंगे की

जब शांत बादलों ने बदला रंग

तब शुरू हो गया आंदोलन

समुद्र की लहरों का गुस्सा

जैसे था उनका जज्बा

आग से लपटी बाधाओं को

पानी की तरह बिना बुझाए ना छोड़े वो

वो महान सेनानी

जो दुश्मनों का रंग निचोड़े बिना

शहद का सुख चखे ना वो

आंधी हो या तूफान

बड़े चलो का गीत गाते रहे वो

भारत को गुलाम मुक्त है कराया उन्होंने

पर आज भी वो गए हैं नहीं

आज भी हर बच्चे मे हर अवतार में है यही

इस तिरंगे के पीछे हैं बड़ी कहानी

तो आओ मिलकर कहे अमर रहे हर

स्वतंत्र सेनानी ।

                                                  

~Eshita Singh

Patna, India

11 Comments

  1. Your pen is the torch of your future. Great job Eshita! Keep your pen flow.

  2. Lovely poem…

  3. Wow Shaanvi well done 👌👌👌

  4. Proud of you beta ♥️👌

  5. Excellent

  6. Excellent composition.
    Keep it up!

  7. Excellent composition!
    Keep it up.

  8. Very beautifully written Eshita!

  9. Very nice 🙂🙂👍👍

  10. excellent poem! Keep going :)

  11. Bravo very well written