आंखों गमगीन थी,
फिर भी जिंदगी मुस्कुरा रही थी,
हर हिचकी आके, याद तेरी दिला रही थी….
तकदीर कहती थी तुम ना मिलोगे,
आरजू फिर भी तुम से मिलने को उकसा रही थी…
हर गली के मोड़ पे दिख जाता मुझे तू,
बेखुदी हर जगह, तेरी मौजूदगी दिखा रही थी….
इश्क़ की चिट्ठियां उड़ उड़ के आ रही है मेरी ओर,
हवाओं की सरगोशी तेरे आने की ख़बर बता रही थी…
दर्पण ने भी जो देखा मुझे, तो देखता रह गया,
जाने क्यूं आज, ये कायनात मुझे इतना सजा रही थी…
मानती ही नही हार, ये प्रीत मेरी ऐसी,
तुम से बिछड़ के भी तेरे सजदे किए जा रही थी…..
चारों प्रहर बीत गए पर तुम न आए,
मायूस धडकनें, तेरे इंतज़ार में टूटे जा रही थी….
~Dr. Neeru Jain
Jaipur, India