तेरी याद,
चुपके से आ मेरे दिल का
दरवाजा खटखटाती है,
बुझती सी शामों को
सिगड़ी सा सुलगाती है…
तपन जब सही नहीं जाती
तो आंखों से,
मोम सी पिघल बह जाती है….
मैं, तुम, वो चांद और वो शाम,
तुम नहीं हो फिर भी
तुम्हारी उपस्थिति का आभास कराती है….
बीनती है, लम्हे इश्क़ के,
इक इक जिंदगी से,
तेरे संग बीती हर घड़ी को
सौ सौ बार दोहराती है….
याद उफ्फ!
बड़ी की ज़िद्दी हैं
यकीं नहीं करना चाहती कि
तुम नहीं मिलोगे,
बार बार आकर,
जख्मों को कुरेद जाती हैं…….
बड़े बड़े दिलासे इसके,
‘फिर मिलोगे’ के ख़्वाब दिखाती,
बेकरारी से पुकारती, बेताबी से ढूंढती,
ना पाकर तुम्हें, मायूस हो,
दिल के कौने में छुप लेती हैं….
तेरी याद….
~Dr. Neeru Jain
Jaipur, India
Thank you so much 💐