मुद्दतें हुई उनसे मुलाक़ात किए
दिल से दिल की कोई बात किए….
इक घड़ी भी ना गुजारा होता था,जिनके बिना,
तरस गए देखने को, ऐसे अब हालत हुए…
यादों में भर के जीते है इक दुजे को
तस्सवुर में लिए फिरते, हाथों में हाथ लिए…
रुबरू आते है, तो भी
गुज़र जाते है अजनबी की तरह,
जुदाई ने कुछ ऐसे रकीब ए जज़्बात किए….
मालूम था मयस्सर न होगी
खुशियां इस इश्क़ में,
फिर भी दीवाना खुद को बेबात किए…..
~Dr. Neeru Jain
India