नाराज सी मेरी जिन्दगी एक दिन मेरे पास आई…
कुछ ना केहके भी सब कुछ केह गई…
खुद से हारी हुई में ,
अपने नाकामियोको तरख रही थी…
उस दिन वो कमरे में मैं अकेली ही रो रही थी…
सोचा एक बार अपने आज को निहार लु…
ना कोई आगे था, ना कोई पिछे
मगर उस वक्त मेरे साथ सिर्फ मेरी माँ खडी थी…
मेरे हर वक्त वो मेरे साथ थी…नजरे तो ना मिला पाई में उस्से ..मगर उसके आँखो मे अभी भी मेरे जीत की उम्मिद थी….!
लोग युही नही केहते माँ के बराबर कोई नहीं…..!!!!!!
~Tejal Kulkarni
Aurangabad, India