आज क्यूं हिचकियों ने बवाल किया है,
लगता है तूने मुझे फिर से याद किया है….
तेरी मेरी तो अब यारी भी ना रही,
तो फिर क्यूं मेरे दिल ने तेरा नाम लिया है…
चलते है तो रास्ते, खुद-ब-खुद मुड़ जाते तेरी और,
तेरे नज़रों की कशिश ने, मेरी बंदिशों को नाकाम किया है..
तेरे ख़्यालों की संगत में बैठ, जी भर तुझ पे गीत लिख लेते,
तो लगता है आज, हमने कोई बड़ा काम किया है….
तुम मैं और चाय संग, वो मुलाकात की फ़रमाइश,
लगता है जन्नत ने, मेरे घर आने का ऐलान किया है..
कोई खुशी मुझे तो, तुझ से बढ़ कर लगती ही नहीं,
मेरी मुहब्बत को तूने, बड़ी बेरुखी से अंजाम दिया है…
तुम्हे तो खुद ही नही पता, तुम्हारे दिल में क्या है,
दिल मेरा तोड़ा, और मुझे ही इल्ज़ाम दिया है….
~Dr. Neeru Jain
India