Poetry

पिता

पिता और व्यथा हैं घनिष्ठ संबंधी,

व्यथाओं से है उसका गहरा याराना!

संजीदा रहना है उसकी दिनचर्या,

जिम्मेदारियों से है रिश्ता पुराना!

 

पिता होता है द्दृढ़ स्तम्भ समग्र परिवार का,

सौम्य,धीर, गंभीर होना नियति है उसकी,

होता है पत्नी के मन,मस्तिष्क का भरोसा,

और बच्चों की ललचाती आंखों की आशा!

 

पिता का जीवन होता है पर्याय त्याग का,

कभी उम्र दराज़ माता पिता के लिए

कभी अपनी सहभागिनी पत्नी के लिए

कभी भविष्य की आशा, संतानों के लिए!

 

जीवन के सोपान कब निकल जाते हैं

रोजगार, कारोबार, की कश्मकश,

बच्चों की शिक्षा, विवाह, हारी बीमारी,

कर्तव्यों को निभाते पता नहीं चलता!

 

पुत्री ससुराल गयी, पुत्र की बधू आई

बच्चों की किलकारियां खुशियाँ लाई,

पर जीवन के उत्तर काल में पत्नी संग

एकाकी जीवन पिता की नियति होती है!

 

अंततः, पिता अपने मजबूत कंधों पर

गृहस्थ-सृष्टि का बोझ वाहक होता है!

शिकवे,शिकायतें,शिव की तरह पी जाना,

भौतिक धरातल पर उसे महान बनाता है!

 

~ Dr. Kailash Nath Khandelwal
Agra, India

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