Poetry

मुश्किल तो बस

तमगा लगाना कितना आसान होता है ना

बस मुंह खोला और बोल दिया

कुछ भी, कभी भी, कहीं भी,

किसी के बारे में भी.

 

परिस्थितियाँ किसकी कैसी हैं

हम देखना नहीं चाहते

स्थितियों की जटिलता को

हम समझना नहीं चाहते.

 

किसने क्या झेला है

किसने क्या सहा है

हम जनाना नहीं चाहते

हम सोचना नहीं चाहते.

 

हम चाहते हैं तो बस

तमगे देना

जानते हैं तो बस

आलोचना करना.

 

कितना आसान होता है

किसी को कटघरे में खड़ा करना

कितना आसान होता है

आरोप लगाना.

 

मुश्किल तो बस

किसी को समझ पाना होता है

सहयोग करना होता है

वहीं हम कर नहीं पाते

करना भी नहीं चाहते.

 

                                                        ~ Dr Shivangi Srivastava

                                                                     Motihari, India

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