Poetry

जा उड़ जा नन्हें परिंदे

जा उड़ जा नन्हें परिंदे

ये स्वच्छंद आसमाँ तेरी
राह तकता है,
बेबाक, बेफिक्र पंख पसार
नाप ले आकाश की ऊँचाई
बिना किसी डर,
समेट ले अपने उम्मीद की
खुशियां, जो तुझे सिर्फ़ और
सिर्फ़ वो खुला आसमाँ
दे सकता है,
जा उड़ जा नन्हें परिंदे
ये स्वच्छंद आसमाँ तेरी
राह तकता है.
घोंसले की गर्म सुरक्षित दीवारों
की ओट से बाहर झाँक
कुछ सपने सज़ा कुछ
आरज़ू जगा,
क्या अधमरे से जीते रहना
एक एक दिन काटते रहना
हौंसला रख, हिम्मत जुटा
जा उड़ जा नन्हें परिंदे
ये स्वच्छंद आसमाँ तेरी
राह तकता है.
सुबह की नन्ही किरणों संग
अठखेलियाँ करने का अपना
मज़ा है,
नदिया के ठंडे पानी संग भीजने
का अपना मज़ा है,
तिनकों को जोड़ अब नया नीड़
बनाना है तुझे
अनगिनत कठिनाइयों भरे रास्ते
ख़ुद मुस्कुराना है तुझे
तू क्यूँ डरता है
तू क्यूँ थकता है
यहाँ कोई किसी का नहीं
सबका अपना अपना सफ़र है,
जा उड़ जा नन्हें परिंदे
ये स्वच्छंद आसमाँ तेरी
राह तकता है|

~Shivangi Srivastava 

Motihari, India

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