Poetry

संकल्प

कुछ ठान लिया है मैंने आज

ग़लतियों से हर पल सीखूंगी

जो कई बार दोहरा चुकी हूं

अब बात नहीं होने दूंगी.

जो चाह ले ग़र इंसान तो

क्या कुछ कर नहीं सकता

धरती फ़िर क्या वह चांद

के धरातल हो भी है छू सकता.

संकल्प की शक्ति बहुत भली

दृण निश्चय आज किया मैंने

मन को थोड़ा सा शांत किया

कुछ धैर्य आज धरा मैंने

समझ बूझ कर भी जाने क्यूँ

गलती इंसान कर देता है

पछताने का कोई फायदा नहीं

खुद को ही दुख वो देता है

 

सकंल्प कभी करके देखो

और बे खौफ उसे निभाओ भी

जीवन के खालीपन को तुम

तब ऐसे ही भर पाओगे.

जो ठान लिया अब चैन कहाँ

संकल्प तो पूरा करना है

अपने क्या गैरों के खातिर भी

बड़ी मिसाल अब बनाना है

 

                                            ~ Shivangi Srivastava

                                             Motihari, India

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