Poetry

भूलीं बिसरी यादें

१ बीती यादों के आँगन में वे खिलखिलाते पल

डोर पर लटकते, हिलोरे करते कपड़े

हवा के झोंके से गिरते ही

वापस टंग जाते

 

२ वह पानी से भरी आँगन कि टाँकी

गरम पानी का वह ताम्बे का बंबा

जिसमें लकड़ी जलाकर ठंड में

गरम पानी करते न थके कभी

 

३ वह नई दहलान… जहाँ एक ओर

हाथ चक्की से मसाले, गेहूँ, दाल पीसते

दूर वहीं एक कमरे में रखीं चूल्हे कि लकड़ियाँ

और कोयले, बूरादे का ढेर

 

४ दूसरी छोर पर विशाल, काली लकड़ी कि पेटी

रज़ाई, गद्दे, तकियों से भरी

महमानो कि राह टोहती

कभी न थकी

 

५ एक लकीर में फैला चौका, भण्डार

तेल, घी, आटा,दाल,चावल, अनाज से भरा

कितने भी मेहमान आयें, जायें

कभी ख़ाली न हुआ

 

६ वह रसोई कि नित्य ख़ुशबू जहाँ

गरमा गरम दाल, चावल, रोटी

शुद्ध घी में डूबीं हलवा, पूरी…पकोड़े

कि महक से हम दौड़े चले आते

 

७ प्यार से उमड़ते वे कमरे

लड़, झगड़ कर जहाँ हम एक हो जाते

वह सुनहरी दोपहर जहाँ ख़श कि ठण्डक में

ज़मीन पर चटाई बिछा सारा परिवार

ताश कि लोडिंग से एक, दूसरे को हराते

 

८ संध्या के पाँच बजे का समय

सब मिलकर मीठे फलों का आनन्द लेते

फिर आँख मिचोनि, पिलो फ़ाईट कर

पिट्टू,गिल्ली,अँटे,बँटे,कँचे खेलने लपकते

 

९ गर्मी में पानी सींच छत ठण्डा करते

खुले आसमा नीचे गद्दे बिछा, तारे गिनते

गाने सुन, चंदामामा पढ़ते, कहानियाँ सुनते

कब सो जाते, नहीं पता किसी को चलता

 

१० फूलों कि वो प्यारी बगिया

गुलाब, मोग्रे से महकते फूल

अमरूद, आम से लदी डालियाँ

आज भी याद हैं

 

११ बीते ज़माने के वे सुनहरे पल

शादी, ब्याओ कि वे रौनक़ें

मेहमानो से भरी… मनमोहक यादें

आज भी सम्मोहित करते

कभी थकी नहीं

 

~ Shobha Diwakar (शोभा दिवाकर)

Jabalpur, India

3 Comments

  1. What a beautiful description of your childhood home, Ms Diwakar. The vivid imagery took me on a tour of the house which seems to have been a very warm & a loving place to have grown up in. Thanks for sharing.

  2. What a beautiful picture of an Indian home of yesterday !
    Ms Diwakar is describing a life a lot of us will call our own – the simple joys of a family unbroken by today’s indifference and mad urban race to earn more .
    There was always food for guests who were members of the extended family that was as close knit as could be !
    I had great pleasure reading it and I found myself transported in my grand mother’s lap ?

  3. thank you ASB and Jaishreeji for your warmhearted comments
    this rat race has not only divided people but also divided relationships of near and dear ones
    wonder when those good old days will ever return?