Poetry

भूल गए क्यों शांता को

हम भूल गए क्यों शांता को

रघुकुल की राजकुमारी को,

बचपन में ही दे दिया जिसे

गोद मित्र को अवध नरेश ने.

 

क्या पूछें राजा दशरथ  से

जीवन की अंतिम बेला में,

बिछड़ी बेटी को याद कर

अश्रु झलके क्या नैनों में.

 

वन भेज राम को राजा तुमने

व्याकुल हो प्राण त्याग दिए,

बिटिया शांता भी वनवासी थी

व्यथित हुए  क्या उसके लिए.

 

जब उस युग में इस बिटिया का

अस्तित्व ही दिया भुला सबने,

तब कलयुग को हम क्यों कोसें

घर घर में जब आज शांता देखें.

 

 

                                                                         ~ Anjana Tripathi 

                                                                          Mumbai, India

One Comment

  1. This is so poignant and relevant. Such an excellent juxtaposition of the past and present. Excellent compressed imagery.