पंच दिवसीय त्यौहारों की लड़ी,
धनतेरस से दूज तक चली।
पंचमेवा,फल,सुगंधित फूल व मिठाई,
मिलकर सबने इस पर्व की शोभा बढ़ाई।
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ,
कुबेर संग धनवंतरी की पूजन विधि।
स्वर्ण आभूषण, चांदी के सिक्के व बर्तनों की खरीदारी,
हसी, खुशी,संग उमंग,प्रत्येक पग पर भागीदारी।
पंच दिवसीय त्योहारों की लड़ी,
धनतेरस से प्रारंभ हो…
दूज तक चली।
नरक चौदस पर,
बेहिसाब घर आंगन की सफाई,
जैसे हो मां लक्ष्मी को अधिक से अधिक
प्रसन्न करने की लड़ाई।
वह देर रात तक दीप प्रज्वलित कर
घर की चौखट पर आराधन,
मां लक्ष्मी का खील खिलौनों से
घर में आलिंगन।
दीपदान कर,यमराज से,
आकाल मृत्यु से, रक्षा का निवेदन।
छोटी दीपावली ऐसे,
पंच दिवसीय पर्व का हिस्सा बनी।
त्यौहारों की लड़ी,
धनतेरस से दूज तक चली।
कार्तिक अमावस्या जैसे हो पूर्णिमा,
यह रात जगमगाई।
रंग बिरंगी अल्पनाओं से,
हर चौखट सजाई।
दीपों से आलंकृत उज्जवल
घर आंगन था दीप्तिमान,,
विघ्नहर्ता, विष्णुप्रिया संग
विजितेंद्रिय थे विराजमान।
आराधना,अर्चना,”स्तुति” कर
दीपोत्सव का अनुष्ठान,
अखण्ड दिया भी यहां
समक्ष विद्यमान,,
सुख,समृद्धि, संपन्नता,
स्वस्थता का मांगे वरदान।
पटाखों की लड़ी,
देर रात तक जली।
दीपोत्सव की धूम,
धनतेरस से दूज तक चली।
रिक्त वार, पड़वा,प्रतिपदा से विदित,
गोवर्धन व अन्नकूट से विभूषित,
विक्रम संवत का प्रथम दिवस अलंकृत।
त्यौहार की श्रृंखला में,यह पर्व आया,
गोवर्धन कनिष्ठा पर श्रीकृष्ण ने उठाया।
आगन में खील खिलौने जल कलश के मध्य,
गोवर्धन लिए कान्हा का चित्र बनाया।
कलाकंद से बनी वो,
दुर्जन की जीभ को भी जलाया,
बुराई पर अच्छाई का संदेश लिए
गोवर्धन पर्व आया।
कार्तिक मास,शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि,
चित्रगुप्त के पूजन पश्चात भाई दूज की विधि।
कोरे लेख्य पर लिपिक पीढ़ियों का संचयन,
रोली,मौली,धूप,दीप,अक्षत से चित्रगुप्त का अभिनंदन,,
स्वस्तिक से मंडित, पूरित आलेख सविधी संकलन।
भाई के ललाट को रोली,अक्षत से सुशोभित कर,,
शुभ,श्री,सफल, समृद्ध आयुकाल का उपहार,,,,
भाई दूज का ऐसा गुरुत्वाकार!!
भाई से सुरक्षा का वादा लिए, बहन ने ली विदाई,
इस प्रकार विधि विधान से पुरित भाई दूज मनाई।
त्यौहार की लड़ी,धनतेरस से दूज तक चली।
~ Stuti Saxena Singh
India