कार्तिक मास लेकर आया,
ज्योति-पर्व, दीपावली की पावन रात।
जल रहे दीप हर देहरी पर कतारबद्ध,
करें हम अभिनंदन मां लक्ष्मी का करबद्ध।
रंगोली से अलंकृत द्वार,
प्रकाशमय हो मन का अंतरद्वार।
द्वंद, युद्ध, और संग्राम से परे,
सघन जंगल नफरत, के कटे।
ध्वस्त हो भेदभाव, और ऊँच-नीच के खंडहर,
मानवता हो विजयी, आतंकवादी मन जले पतंगा बन।
तिमिर-पाश कटे उर का
न हो कभी किसी से रंज दुबारा।
आकाश में आकाशदीप, की है आज आभा,
धरा पर सुख -समृद्धि की ज्योत की बहे धारा।
~ Anjana Prasad
Nagpur, India