Poetry

बेकिरदार

तुमने तो मुझे कहानी का अहम् किरदार बनाते बनाते बेकिरदार ही कर दिया

तुमने तो मुझे मुकम्मल बनाते बनाते अधूरी कहानी ही बना दिया

तुमने तो मुझे पाषाण समझ ठोकर में उछाल दिया

तुमने तो मुझे बीच मझधार में डूबने को छोड़  दिया

तुमने तो मुझे सपनो की दुनिया से खींचकर यथार्थ में ला पटका

तुमने तो मुझे आंसुओ के गहरे सैलाब में बहनें को छोड़ दिया

तुमने तो मुझे बेबस परिंदो की भांति फड़फड़ाने को मजबूर कर दिया

तुमने तो मुझे बर्फ की तरह संज्ञा शुन्य कर दिया

तुमने मुझे अपनी जिंदगी से बेदखल कर दिया

तुमने मुझे सुलगते अंगारो के ढेर पर जलने को छोड़ दिया

तुमने तो मेरी जिंदगी को बंजर कर दिया

तुमने तो मेरे दामन को तारतार कर दिया

तुमने तो मेरा इस्तेमाल करके मुझे दागदार

कर दिया

तुमने तो मुझे चंद लम्हो की ताबीर बना कर फिर मिटा दिया

तुमने तो मुझे अर्श से फर्श का नजारा बना दिया

तुमने तो मुझे अपने अहंकार को पुष्ट करने का जरिया बना दिया

तुमने तो मेरी गैरत को कदमो तले कुचल दिया

तुमने तो मुझे अपने शौक का सामान बना लिया

तुमने तो मुझे महकते गीत से दर्दमये शोकगीत बना दिया

तुमने तो मुझे कहानी का अहम् किरदार बनाते बनाते बेकिरदार ही कर दिया

                                                                             ~Pratima mehta

                                                                                Jaipur, India

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