भादों की नदी-सी बहती ..
हृदय की प्यास है प्रेम .
भावना का उफान मात्र नहीं!
अनुभूति की सच्चाई से भरी…
पानी में नमक के एकाकार -सा …
स्वाति के बूंदों की बेकली से प्रतीक्षा
चातक का हठ है प्रेम !
विरह के बिना उपजता नहीं
यह सभी विकारों को भस्म कर देने में सक्षम
आग के समान है प्रेम !
कराहते समय में संवेदना की रेत पर
बिखर रहा है प्रेम
~Dr. Usha Rani Rao
Bangalore, India