Poetry

अतीत जो ,सुप्त पड़ा है

अतीत जो ,सुप्त पड़ा है |

उसे वैसे ही रहने दो |

जाग्रत करने की कोशिश ना करो ||

बीते रिश्ते जो ,बिसरे हुए है |

उन्हें वैसे ही रहने दो |

याद कराने की कोशिश ना करो ||

नज़म जो ,उलझी है |

उसे वैसे ही रहने दो |

सुलझाने की कोशिश ना करो ||

दिले आशियाँ जो ,उजड़ चुका है |

उसे वैसा ही रहने दो |

आबाद ए जहाँ करने की कोशिश ना करो ||

तबाही की दास्ताँ जो ,नुमायां हो रही है |

उसे वैसा ही रहने दो |

राजे गम को खुलने ना दो ||

जज्बो के जो ,गठबंधन ढीले हो गए है |

उन्हें वैसे ही रहने दो |

फिर से जोड़ने की कोशिश ना करो ||

कई नाम जो ,अपरिचय की धुंध मे खो चुके है |

उन्हें वैसा ही रहने दो |

फिर से परिचय का जामा पहनाने की कोशिश ना करो ||

गुजरते गुजरते जो ,वक्त गुजर रहा है |

उसे गुजर जाने दो |

पाबंद करने की कोशिश ना करो ||

ताल्लुक जो ,बेमुरव्वत हो चुके है |

उसे वैसा ही रहने दो |

उन्हें कांधो पर बेवजह ढोने की कोशिश ना करो ||

मौका परस्तो की फितरत का इल्म हो गया है |

उन्हें वैसे ही मत रहने दो |

पुनः वापसी की कोशिश ना करो ||

किसी हाथों का खिलौना बनने की कोशिश ना करो |

 बेवजह बेसबब  कोशिश ना ही करो ||

                                                                   ~Pratima Mehta

                                                                   Jaipur, India

One Comment

  1. Beautifully written!