अतीत जो ,सुप्त पड़ा है |
उसे वैसे ही रहने दो |
जाग्रत करने की कोशिश ना करो ||
बीते रिश्ते जो ,बिसरे हुए है |
उन्हें वैसे ही रहने दो |
याद कराने की कोशिश ना करो ||
नज़म जो ,उलझी है |
उसे वैसे ही रहने दो |
सुलझाने की कोशिश ना करो ||
दिले आशियाँ जो ,उजड़ चुका है |
उसे वैसा ही रहने दो |
आबाद ए जहाँ करने की कोशिश ना करो ||
तबाही की दास्ताँ जो ,नुमायां हो रही है |
उसे वैसा ही रहने दो |
राजे गम को खुलने ना दो ||
जज्बो के जो ,गठबंधन ढीले हो गए है |
उन्हें वैसे ही रहने दो |
फिर से जोड़ने की कोशिश ना करो ||
कई नाम जो ,अपरिचय की धुंध मे खो चुके है |
उन्हें वैसा ही रहने दो |
फिर से परिचय का जामा पहनाने की कोशिश ना करो ||
गुजरते गुजरते जो ,वक्त गुजर रहा है |
उसे गुजर जाने दो |
पाबंद करने की कोशिश ना करो ||
ताल्लुक जो ,बेमुरव्वत हो चुके है |
उसे वैसा ही रहने दो |
उन्हें कांधो पर बेवजह ढोने की कोशिश ना करो ||
मौका परस्तो की फितरत का इल्म हो गया है |
उन्हें वैसे ही मत रहने दो |
पुनः वापसी की कोशिश ना करो ||
किसी हाथों का खिलौना बनने की कोशिश ना करो |
बेवजह बेसबब कोशिश ना ही करो ||
~Pratima Mehta
Jaipur, India
Beautifully written!