वक्त के साथ क़दम से कदम मिला न पाए ।
वक्त के बेरहम कदमो की आहट पहचान ही नही पाए
वक्त के झंझावात को रोक ही नही पाए
वक्त के कालचक्र को सही दिशा में घुमा ही नही पाए
वक्त की गर्द में लिपटी स्मृतियों को भुला भी न पाए
वक्त के पदचिन्हों पर चलकर मंजिल पा ही न पाए
वक्त की गति को अनदेखा कर ही न पाए
वक्त के आईने में अपना ही धुंधलाता अक्स न देख पाए
वक्त तो थमा नही पर गुजरते वक्त के साथ हम अपना वजूद ही न बचा पाए
~Pratima Mehta
Jaipur, India
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समय तब भी था जब हम नहीं थे तब भी रहेगा जब हम नहीं होंगे इसलिऐ सही कहा वक्त का तकाजा है