Poetry

तुम क्यों हो ऐसी

एक बात कहूँ…….

तुम सबसे अलग हो वैसे !

ना ही कोई छलकपट

ना ही कोई सोच ग़लत

मिलने मैं जब भी आयी

मिला मुझे एक नया सबक़ !

कुछ बात है तुममें

जो ओरों में नहीं

झलकती जो आँखो में

लाखों- करोड़ों में नहीं !

माफ़ किया हर दफ़ा

बेवफ़ाई नहीं की वफ़ा

मैं सताऊँ कितना भी

तुमने दी ख़ुदको सज़ा

उस दूर बैठें-अनजान से भी

माँगी तुमने- मेरी दुआ

शायद आज भी

करते हो मेरी रजा !……

                                                      ~Harshit Kumar

                                                         Noida, India

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